गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
गणपति जी की कहानी
गणपति जी की प्रार्थना हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। गणेश, जिन्हें विनायक, गणपति, और सिद्धिविनायक जैसे नामों से भी जाना जाता है, बुद्धि, समृद्धि और भाग्य के देवता हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से नए कार्यों की शुरुआत, व्यवसाय की सफलता, और व्यक्तिगत समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है।
गणेश जी की प्रार्थना आमतौर पर ध्यान और भक्ति के साथ की जाती है। पूजा की शुरुआत गणेश जी की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ करके, उन्हें फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करने से की जाती है। विशेष रूप से, गणेश चालीसा, गणेश अष्टकशती, और गणेश स्तोत्र जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है, जो उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है।
गणेश जी की प्रार्थना में विश्वास और समर्पण महत्वपूर्ण होता है। पूजा के दौरान उनके शारीरिक लक्षणों जैसे हाथी की सूरत, छोटे शरीर, और बड़ी नक्काशी वाले मूंछों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके साथ ही, गणेश जी की कहानियों और उनके गुणों का गुणगान भी किया जाता है, जो श्रद्धालुओं को जीवन में सफलता और शांति प्राप्त करने में मदद करता है।
इस प्रकार, गणेश जी की प्रार्थना धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और भक्तों को शुभता और सौभाग्य की प्राप्ति में सहायक होती है।
इसके बारे में और जानें